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सामाजिक विमर्श
Published in Association with Council For Social Development
- ISSN:
- 25816543
- Current Volume:
- 6
- Current Issue:
- 2
- Frequency:
- Bi-annual
customerservicejournals@sagepub.in
सामाजिक विमर्श को यूजीसी केयर सूची (समूह I) में अनुक्रमित किया गया है
सामाजिक विमर्श सामयिक व ऐतिहासिक समीक्षा पर आधारित जरनल है। इसके प्रकाशन का उद्देश्य समाज और मानवीय संबंधों के अध्ययन द्वारा सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया में सकारात्मक हस्तक्षेप करना, हिंदी में इससे जुड़े ज्ञान के सृजन और उसके प्रसार के अवसर उत्पन्न करना, हिंदी में समाज वैज्ञानिक पठन-पाठन सामग्री की मॉंग और उपलब्धता के बीच की खाई को, और अकादमिक जगत और वृहत्तर समाज के बीच पुल का निर्माण करना है। हिंदी में मौलिक समाज विज्ञान लेखन का मंच तैयार करना और विभिन्न समूह-आधारित और स्थानिक आख्यानों और विमर्शो को समाज वैज्ञानिक विमर्श की मुख्यधारा में समुचित जगह दिलाने का प्रयास करना है। विमर्श की भाषा और विषय-वस्तु ऐसी होगी जिसे ज्यादा-से-ज्यादा लोग आसानी से समझ सकें और उससे जुड़ाव महसूस कर सकें। इसमें सैद्धांतिक आलेखों के साथ-साथ अनुभवजन्य जमीनी शोध और तात्कालिक बिन्दुओं पर महत्ता दी जायेगी।संपादक
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पूर्व कुलपति, राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर
संपादक मंडल
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प्रो. मुचकुंद दूबे csdnd@del2.vsnl.net.inकाउन्सिल फॉर सोशल डेवलपमेंट, दिल्ली
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प्रो. मनोरजंन मोहन्ती mmohantydu@gmail.comकाउन्सिल फॉर सोशल डेवलपमेंट और दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली
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प्रो. अशोक पकंज ashokpankaj@csdindia.orgकाउन्सिल फॉर सोशल डेवलपमेंट, दिल्ली
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प्रो. के.बी. सक्सेना csdnd@del2.vsnl.net.inकाउन्सिल फॉर सोशल डेवलपमेंट, दिल्ली
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प्रो. जे.बी.जी. तिलक jtilak@csdindia.orgकाउन्सिल फॉर सोशल डेवलपमेंट, दिल्ली
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प्रो. वर्नर मेन्स्की wm4@soas.ac.ukएसओएएस, लंदन विश्वविद्यालय, लंदन
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प्रो. बद्री नारायण badrinarayan.gbpssi@gmail.comजीबी पंत इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंस, इलाहाबाद
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प्रो. प्रवीण झा praveenjha2005@gmail.comजवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली
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प्रो. दीपांकर गुप्ता dipankargupta@hotmail.comसेवानिवृत्त, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली
संपादकीय सहायक
Editor
Editorial Board
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Prof. Muchkund Dubey csdnd@del2.vsnl.net.inCouncil for Social Development, New Delhi
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Prof. Manoranjan Mohanty mmohantydu@gmail.comCouncil for Social Development and University of Delhi, New Delhi
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Prof. Ashok Pankaj ashokpankaj@csdindia.orgCouncil for Social Development, New Delhi
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Prof. K.B. Saxena csdnd@del2.vsnl.net.inCouncil for Social Development, New Delhi
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Prof. J.B.G. Tilak jtilak@csdindia.orgCouncil for Social Development, New Delhi
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Prof. Werner Menski wm4@soas.ac.ukSOAS, London University, London
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Prof. Badri Narayan badrinarayan.gbpssi@gmail.comGB Pant Institute of Social Science, Allahabad
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Prof. Praveen Jha praveenjha2005@gmail.comJawaharlal Nehru University, Delhi
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Prof. Dipankar Gupta dipankargupta@hotmail.comRetired, Jawaharlal Nehru University, Delhi
सामाजिक विमर्श के लेखकों के लिए दिशा-निर्देश
काउंसिल फॉर सोशल डेवलपमेंट ने सेज पब्लिकेशंस के सहयोग से हिंदी में सामाजिक विमर्श के प्रकाशन की योजना बनाई है। इस जरनल में समाज विज्ञान को विभिन्न शाखाओं से संबंधित सैद्धांतिक आलेख, अनुभवजन्य/जमीनी शोध आधारित आलेख, टिप्पणियॉं और पुस्तक समीक्षाएं प्रकाशित की जाएंगी। लेखकों से निवेदन है कि अपनी रचनाएं प्रकाशन के लिए भेजते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखेंः
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इस जरनल में हमारा बल हाशिए पर स्थित समूहों, अर्थात् दलितों, आदिवासियों, अल्पसंख्यक समूहों, महिलाओं, कृषकों, मेहनतकश श्रमिकों से जुड़े मुद्दों और शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक कल्याण, मानवाधिकार, रोजागार, सामाजिक न्याय, आदि पर होगा।
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आलेख में सामग्री को इस क्रम में व्यवस्थित करें: आलेख का शीर्षक, लेखकों के नाम, पते और ई-मेल, लेखकों का परिचय, सारसंक्षेप (abstract) परिचर्चा, निष्कर्ष/सारांश, आभार (यदि आवश्यक हो तो) और संदर्भ सूची।
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सारसंक्षेप : सारसंक्षेप (Abstract) में लगभग 100-150 शब्द होने चाहिए, तथा इसमें आलेख के मुख्य तर्को का संक्षिप्त ब्योरा हो। साथ ही 4-6 मुख्य शब्द (Keywords) भी चिन्हित करें। आलेख का शीर्षक, सारसंक्षेप और मुख्य शब्द अंग्रेजी में भी भेजे।
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आलेख का पाठ : आलेख 8000 शब्दों से अधिक न हो, जिसमें सारणी, ग्राफ भी सम्मिलित हैं।
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टाइप : कृपया अपना आलेख टाइप करके वर्ड और पीडीएफ दोनों ही फॉर्मेट में भेजें। टाइप के लिए हिंदी यूनीकोड (मंगल) का इस्तेमाल करें. अगर आपने हिंदी के किसी विशेष फॉण्ट का इस्तेमाल किया हो तो फॉण्ट भी साथ भेजें. इससे गलतियों की संभावना कम होगी. हस्तलिखित आलेख स्वीकार नहीं किए जाएंगे।
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अंक : सभी अंक रोमन टाइपफेस में लिखे. 1-9 तक के अंकों को शब्दों में लिखें, बशर्ते कि वे किसी खास परिमाण को न सूचित करते हों जैसे 2 प्रतिशत या 2 किलोमीटर।
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टेबुल और ग्राफ : टेबुल के लिए वर्ड में टेबुल बनाने की दी गई सुविधा का इस्तेमाल करें या उसे excel में बनाएं। हर ग्राफ की मूल एक्सेल कॉंपी या जिस सॉंफ्टवेयर में उसे तैयार किया गया हो उसकी मूल प्रति अवश्य भेजें। सभी टेबुल और ग्राफ को एक स्पष्ट संख्या और शीर्षक दें। आलेख के मूल पाठ में टेबुल और ग्राफ की संख्या का समुचित जगह पर उल्लेख (जैसे देखें टेबुल 1 या ग्राफ 1) अवश्य करें।
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चित्र : सभी चित्र का रिजोल्यूशन कम-से-कम 300 डीपीआई/1500 पिक्सेल होना चाहिए। अगर उसे कहीं और से लिया गया हो तो जरूरी अनुमति लेने की जिम्मेदारी लेखक की होगी।
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वर्तनी : किसी भी वर्तनी के लिए पहली और प्रमुख बात है एकरूपता। एक ही शब्द को अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग तरीके से नहीं लिखा जाना चाहिए। इसमें प्रचलन और तकनीकी सुविधा दोनों का ही ध्यान रखा जाना चाहिए।
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नासिक उच्चारण वाले शब्दों में आधा न् या म् की जगह बिंदी/अनुस्वार का प्रयोग करें. उदाहरणार्थ, सम्बन्ध के बजाय संबंध, सम्पूर्ण की जगह संपूर्ण लिखें।
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अनुनासिक उच्चारण वाले शब्दों में चंद्रबिंदु का प्रयोग करें। मसलन, वहॉं, जाएं, जाएंगे, महिलाएं, आदि-आदि। कई बार सिर्फ बिंदी के इस्तेमाल से अर्थ बदल जाते हैं। इसलिए इसका विशेष ध्यान रखें, उदाहरण के लिये, हंस और हॅंस।
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जहॉं संयुक्ताक्षर मौजूद हों और प्रचलन में हों वहॉं उन संयुक्ताक्षरों का भरसक प्रयोग करें।
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महत्त्व और तत्त्व ही लिखें, महत्व या तत्व नहीं।
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जिस अक्षर के लिए हिंदी वर्णमाला में अलग अक्षर मौजूद हो, उसी अक्षर का प्रयोग करें। उदाहरण के लिये, गये, गयी की जगह गए, गई लिखें।
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कई मामलों में दो शब्दों को पढ़ते समय मिलाकर पढ़ा जाता है उन्हें एक शब्द के रूप में ही लिखें। उदाहरण के लिये, घरवाली, अखबारवाला, सब्जीवाली, गॉंववाले, खासकर, इत्यादि।
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पर कई बार दो शब्दों को मिलाकर पढ़ने के बावजूद उन्हें जोड़ने के लिए हाइफन का प्रयोग होता है। खासकर -सा या -सी और जैसा या जैसी के मामले में। उदाहरण के लिये, एक-सा, बहुत-सी, भारत-जैसा, गांधी-जैसी, इत्यादि।
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अरबी या फारसी से लिए गए शब्दों में जहॉं मूल भाषा में नुक्ते का इस्तेमाल होता है वहॉं नुक्ता जरूर लगाएं। ध्यान रहे कि क, ख, ग, ज, फ वाले शब्दों में नुक्ते का इस्तेमाल होता है। मसलन, कलम, कानून, खत, ख्वाब, खैर, गलत, गैर, इजाजत, इजाफा, फर्ज, सिर्फ।
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उद्धरण : पाठ के अंदर उद्धृत वाक्यांशों को दोहरे उद्धरण चिहृन (” “) के अंदर दें। अगर उद्धृत अंश दो-तीन वाक्यों से ज्यादा लंबा हो तो उसे अलग पैरा में दें। ऐसा उद्धृत पैराग्राफ अलग नजर आए इसके लिए उसके पहले और बाद में एक लाइन का स्पेस दें और पूरे पैरा को इंडेंट करें और उसके टाइप साईज को छोटा रखें। उद्धृत अंश में लेखन की शैली और वर्तनी में कोई तब्दीली या सुधार न करें।
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पादटिप्पणी और हवाला (साईटेशन) : सभी पादटिप्पणियों और हवालों (साईटेशन) के लिए मूल पाठ में एंनचमतेबतपचज में सिलसिलेवार संख्या दें और हर पृष्ठ के नीचे क्रम में दें। इसके लिए माइक्रोसॉंफ्ट वर्ड के तहत उपलब्ध पदेमतज विवजदवजम की सुविधा का इस्तेमाल कर सकते हैं। उल्लेख करें. वेबसाईट के मामले में उस तारीख का भी जिक्र करें जब आपने उसे देखा हो। मसलन, पाठ1 1. मनोरंजन महंती, 2002, पृष्ठ और हर हवाला के लिए पूरा संदर्भ आलेख के अंत में दें।
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संदर्भ : इस सूची में किसी भी संदर्भ का अनुवाद करके न लिखें, अर्थात संदर्भो को उनकी मूल भाषा में ही रहने दें। यदि संदर्भ हिंदी व अंग्रेजी दोनों भाषाओं के हों तो पहले हिंदी वाले संदर्भ लिखें तथा इन्हें हिंदी वर्णमाला के अनुसार, और बाद में अंग्रेजी वाले संदर्भ को अंग्रेजी वर्णमाला के अनुसार सूचीबद्ध करें।
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मौलिकता : ध्यान रखें कि आलेख किसी अन्य जगह पहले प्रकाशित नहीं हुआ हो तथा न ही अन्य भाषा में प्रकाशित आलेख का अनुवाद हो। यानी आपका आलेख मौलिक रूप से लिखा गया हो।
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कोशिश होगी कि इसमें शामिल ज्यादातर आलेख मूल रूप से हिंदी में लिखे गए हों। पर ऐसा नहीं कि अंग्रेजी समेत दूसरी भारतीय भाषाओं में चल रहे समाज वैज्ञानिक चिंतन पर हमारी नजर नहीं होगी। बल्कि हम कुछ चुनिंदा आलेखों का दूसरी भाषाओं से अनुवाद को भी समुचित जगह देंगे। हॉं, अनूदित सामग्री की संख्या किसी भी सूरत में 50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होगी। अनुवाद के चयन में भी कोशिश होगी कि ये लेख मौलिक रूप से सामाजिक विमर्श के लिए लिखे गए हों। लेखक बाद में उसे मूल भाषा में समुचित आभार और संदर्भ के साथ प्रकाशित कर सकते हैं। लेखकों से अपेक्षा होगी कि वे दूसरे किसी लेखक के विचारों और रचनाओं का सम्मान करते हुए ऐसे हर उद्धरण के लिए समुचित हवाला/संदर्भ देंगे। अकादमिक जगत के भीतर बिना हवाला दिए नगल या दूसरों के लेखन और विचारों को अपना बताने (प्लेजियरिज्म) की बढ़ती प्रवृति को देखते हुए लेखकों को इस बारे में विशेष ध्यान देना होगा।
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समीक्षा और स्वीकृति : प्रकाशन के लिए भेजी गयी रचनाओं पर अंतिम निर्णय लेने के पहले संपादकमंडल दो समीक्षकों की राय लेगा, अगर समीक्षक आलेख में सुधार की मॉंग करें तो लेखक को उन पर गौर करना होगा।
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संपादन व सुधार का अंतिम अधिकार संपादकगण के पास सुरक्षित है।
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कॉपीराइट : प्रकाशन के लिए स्वीकृत रचनाओं का कॉपीराइट लेखक के पास ही रहेगा पर हर रूप में उसके प्रकाशन का अधिकार सीएसडी और सेज के पास होगा। वे अपने प्रकाशित आलेख का उपयोग अपनी लिखी किताब या खुद संपादित किताब में आभार और पूरे संदर्भ के साथ कर सकते हैं। किसी दूसरे द्वारा संपादित किताब में शामिल करने की स्वीकृति देने के पहले उन्हें सीएसडी और सेज से अनुमति लेनी होगी।
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लेखकगण अपनी रचनाएँ samajik@csdindia.org पर ईमेल द्वारा भेज सकते हैं।
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पत्र व्यवहार का पता : संपादक, सामाजिक विमर्श, काउंसिल फॉर सोशल डेवलपमेंट, संघ रचना, 53, के.के. बिड़ला लेन, लोदी एस्टेट, नई दिल्ली-110003. फोन: 011-24615383, 24611700
लेखक/लेखकों के नाम (वर्ष): किताब का नाम (अनुवादक), प्रकाशक, स्थान।
किसी संपादित किताब की सूरत में
लेखक/लेखकों के नाम (वर्ष): “आलेख का शीर्षक,”किताब का नाम (संपादक), प्रकाशक, स्थान; पृष्ठ।
किसी जरनल/पत्रिका में छपे लेख के मामले में
लेखक/लेखकों के नाम (वर्ष): “लेख का शीर्षक,”पत्रिका / जरनल का नाम, वाल्यूम(अंक): पृ., स्थान।
किसी वेबसाइट का हवाला देने पर
वेबसाइट का पता, देखा (तारीख़, महीना, वर्ष)