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कटार सिंह
पूर्व निदेशक, ग्रामीण प्रबंधन संस्थान, आनंद (आईआरएमए), गुजरात
प्रोफेसर कटार सिंह संम्प्रति इंडिया नेचुरल रिसोर्सेस इकोनॉमिक्स एंड मैनेजमेंट (इनरेम) फाउण्डेशन आणन्द के मानद (संस्थापक) अध्यक्ष हैं, जो कि प्राकृतिक संसाधन अर्थशास्त्र एवं पर्यावरण प्रबन्धन में शिक्षण, प्रशिक्षण एवं अनुसन्धान को बढ़ावा देने तथा प्राकृतिक संसाधन प्रबन्धन की नीतियों एवं कार्यक्रमों को बेहतर करने के लिए प्रतिबद्ध एक गैर-सरकारी अकादमिक संगठन है। आपने कृषि अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि युनिवर्सिटी ऑफ इलिनायस, अरबाना-शेम्पेन, अमेरिका से प्राप्त की है तथा प्राकृतिक संसाधन अर्थशास्त्र में पोस्ट-डॉक्टरेट अनुसंधान एवं अग्रवर्ती अध्ययन कार्य ऑरेगॉन स्टेट युनिवर्सिटी, कॉरवेलिस, अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चरल एंड रिसोर्स इकोनॉमिक्स तथा इण्डियाना युनिवर्सिटी, ब्लूमिंगटन अमेरिका के वर्कशॉप इन पोलिटिकल थ्योरी एंड पॉलिसी एनालिसिस से अर्जित किया है। आपको कृषि तथा ग्रामीण विकास और प्राकृतिक संसाधन अर्थशास्त्र एवं प्रबंधन में शिक्षण, प्रशिक्षण, अनुसंधान तथा परामर्श का 45 वर्षों से अधिक का अनुभव है। आप ग्रामीण प्रबंधन संस्थान इरमा आणन्द के निदेशक एवं भारतीय रिजर्व बैंक के चेयर प्रोफेसर रहे हैं एवं अल्पावधि के लिए बैंकर्स इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल डेवलपमेंट, लखनऊ के निर्देशक भी रहे हैं। आपने जी. बी. पंत कृषि एवं तकनीकी विश्वविद्यालय, पंतनगर में भी अध्यापन कार्य किया है। आपने कई राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय अभिकरणों से वित्तपोषित शोध एवं परामर्श की परियोजनाओं को समन्वित एवं संचालित किया है। आपने एक बहुसर्जक के रूप में प्रतिष्ठित जर्नल्स में से 120 से अधिक शोधपत्र तथा नौ पुस्तकों का लेखन/ सहलेखन किया है, जिनमें एक पाठ्यपुस्तक, रूरल डेवलपमेंट: प्रिंसिपल्स, पॉलिसीज़ एंड मैनेजमेंट, द्वितीय संस्करण (सेज, 1999), एवं एक अन्य पुस्तक डॉ. अनिल सिसोदिया के सहलेखन में, एनवायरनमेंट इकोनॉमिक्स: थ्येरी एंड एप्लीकेशंस (सेज, 2007) सम्मिलित है। आपने तीन पुस्तकों का सहसम्पादन भी किया है, जिनके शीर्षक हैं - को-ऑपरेटिव मैनेजमेंट ऑफ नेचुरल रिसोर्सेज (सेज, 1996), नेचुरल रिसोर्स इकोनॉमिक्स: थ्येरी एंड एप्लीकेशंस इन इंडिया (ऑक्सफोर्ड एंड आय.बी.एच, 1997) तथा डिजाइनिंग एंड मैनेजिंग रूरल डेवलपमेंट आर्गेनाईजेशंस (ऑक्सफोर्ड एंड आय.बी.एच, 2000)। प्रोफेसर सिंह इंडियन सोसाइटी ऑफ एग्रीकल्चरल इकोनॉमिक्स एवं इंडियन एसोसिएशन ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन सहित कई संगठनों के आजीवन सदस्य हैं। आपको कई सम्मान एवं पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है, जिनमें ग्रामीण विकास में शिक्षा हेतु योगदान के लिए विश्व भारती विश्वविद्यालय, शांतिनिकेतन द्वारा रवीन्द्र पुरस्कार 2003, कृषि और ग्रामीण विकास में उल्लेखनीय अनुसंधान कार्य के लिए सीएसएस हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार द्वारा वर्ष 1996-97 के लिए सर छोटूराम राष्ट्रीय पुरस्कार उल्लेखनीय हैं।
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