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कांचा अइलैय्या

मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय, तेलंगाना, प्रोफेसर, राजनीति विज्ञान विभाग, उस्मानिया विश्वविद्यालय

कांचा अइलैय्या (इस पुस्तक के अंग्रेज़ी संस्करण के प्रकाशन के बाद लेखक ने अपने नाम में ‘शेफर्ड’ शब्द जोड़ लिया है और अब कांचा अइलैय्या शेफर्ड नाम से लेखन करते हैं) एक भाव-सघन लेखक व सामाजिक कार्यकर्ता हैं और मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय, हैदराबाद के अलबेरुनी सामाजिक बहिष्कार व समावेशी नीति अध्ययन केंद्र के निदेशक व प्रोफ़ेसर हैं। भारतीय जाति व्यवस्था के विरुद्ध वैचारिक आन्दोलन चलाने वाले विद्वानों में प्रमुख हैं और दलित -बहुजन से जुड़े मामलों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने में आपकी भूमिका केन्द्रीय रही है। आपका जन्म एक कुरुमा गोल्ला (‘अन्य पिछड़ा वर्ग’ की एक जाति) परिवार में हुआ और बचपन दक्षिण भारत के एक छोटे गाँव में बीता। अनेक पुस्तकों के अलावा राष्ट्रीय स्तर की पत्र-पत्रिकाओं में भी नियमित रूप से प्रकाशित । ‘व्हाई आई एम नॉट ए हिन्दू -ए शूद्र क्रिटीक ऑफ़ हिन्दुत्व फ़िलॉसफ़ी , कल्चर एंड पॉलीटिकल इकोनॉमी’ (1996) आपकी बेस्ट सेलर पुस्तक रही है। इसके अलावा ‘गॉड एज़ पॉलीटिकल फ़िलॉसफ़र : बुद्धा’ज चैलेंज टू ब्राह्मणिज़्म’, ‘द स्टेट एंड रिप्रेसिव कल्चर’, मनातत्वं (तेलुगू में), बफैलो नेशनलिज्म : ए क्रिटीक ऑफ़ स्प्रिचुअल फासिज्म ’, ‘टर्निंग द पॉट, टिलिंग द लैंड: डिग्निटी ऑफ लेबर इन आवर टाइम्स’, ‘द वेपन ऑफ़ द अदर : दलित बहुजन राइटिंग्स एंड रिमेकिंग ऑफ़ इंडियन नेशनलिस्ट थॉट’, ‘अनटचेबल गॉड’ आपकी अन्य पुस्तकें हैं।