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अलका वाडकर

भूतपूर्व अध्यापिका, मनोविज्ञान विभाग, पुणे विश्वविद्यालय

अपने संपूर्ण शैक्षणिक उद्यम के दौरान अलका वाडकर ने एक उज्जवल कैरियर को प्रदर्शित किया है। उन्होंने मनोविज्ञान में अनेक पुरस्कारों तथा छात्रवृत्तियों सहित अपने परास्नातक एवं शोध-उपाधि को पूरा किया है। उनके पास शैक्षणिक, शोधकार्य तथा सामाजिक रूप से प्रासंगिक कार्यों का प्रचुर अनुभव है। उन्होंने लगभग 30 वर्षों तक पुणे विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग में मनोविज्ञान का अध्यापन किया है। विगत 25 वर्षों से वह पीएच.डी., एम.फिल., एम.एड. तथा एम.ए. आदि के लिए छात्रों का सफलतापूर्वक मार्गदर्शन करती रही हैं। वह दिव्यांगों के विभिन्न संस्थानों तथा अन्य शैक्षणिक संस्थानों के साथ सम्बद्ध हैं। वह एक शैक्षणिक कॉलेज की ट्रस्टी हैं तथा निःशक्त छात्रों तथा उनके माता-पिताओं को निःशुल्क परामर्श देने हेतु सुविदित हैं।
 

डॉ. वाडकर अपने सामाजिक रूप से प्रासंगिक प्रकाशनों के लिए सुविख्यात हैं। उन्होंने 13 पुस्तकों की रचना की है तथा आम आदमी के लिखी गई विचारोत्तेजक शोध-आधारित पुस्तकों के लिए 7 राज्यस्तरीय पुरस्कार अर्जित किए हैं। उन्होंने विभिन्न विश्वविद्यालयों के लिए 5 पाठ्यपुस्तकों की रचना भी की है।
 

क्षेत्रीय, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संदर्भों में उनके 75 शोधपत्र प्रकाशित एवं प्रस्तुत हो चुके हैं। विगत 30 वर्षों के दौरान उनके द्वारा 5 शोधकार्य परियोजनाएं पूरी की गई हैं तथा वह विश्वकोशों, सरकारी प्रकाशनों, आकाशवाणी, समाचारपत्रों, साप्ताहिकों, मासिकों तथा वार्षिक प्रकाशनों के लिए लेख लिखती रही हैं।
 

डॉ. वाडकर कई अकादमिक संस्थानों तथा सरकारी संगठनों में नियमित अध्यापिका रह चुकी हैं, जहाँ उन्होंने कार्यशालाओं के आयोजन, व्याख्यानों की प्रस्तुतियाँ, तथा एकेडमिक स्टाफ कॉलेज, एक्स्ट्राम्यूरल बोर्ड, यशदा (सरकारी अधिकारियों हेतु प्रशिक्षण संस्थान), पुलिस प्रशिक्षण केन्द्र इत्यादि जैसे संस्थानों में ‘प्रशिक्षकों को प्रशिक्षण’ जैसे कार्यक्रम संपन्न किए हैं। सर्वशिक्षा अभियान, आँगनवाड़ी, तथा महिलाओं एवं बच्चों के कल्याण हेतु ऐसे ही अन्य सरकारी कार्यक्रमों में उनका महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। वह विभिन्न विश्वविद्यालयों में परास्नातक तथा एम.फिल. एवं पी.एचडी. के शोध-निबंध के मूल्यांकन कार्य में भी संलिप्त रह चुकी हैं।
 

गत 22 वर्षों से डॉ. वाडकर विभिन्न परीक्षाओं के लिए भारत सरकार तथा महाराष्ट्र सरकार को अपनी सेवाएं प्रदान करती रहीं हैं।