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इन्तिज़ार हुसैन

लेखक

"सदियों से दिल्ली लेखकों, शायरों, इतिहासकारों और कला के जानकारों की महबूबा रही है. दिल्ली वालों ने तो दिल्ली से प्यार किया ही है, यहाँ आने वाले भी इसकी मुहब्बत में दिल्ली वालों से पीछे नहीं रहे। और मुहब्बत भी ऐसी कि दिल्ली वालों और बाहर वालों में फ़र्क़ करना मुश्किल हो जाए। दिल्ली के आशिक़ों की लंबी फ़ेहरिस्त में ग़ौर-फ़रमा हस्ती हैं इन्तिज़ार हुसैन। सन '४७ की अलहदगी के बावजूद इन्तिज़ार साहब दिल्ली की यादों को संजोए रहे और इस शहर से मुहब्बत चलती रही. 'बस्ती', 'हिंदुस्तान से आख़िरी ख़त', 'शहर-ए-अफ़सोस', 'आगे समंदर है', 'जनम कहानियाँ' और 'वो जो खो गए' उनकी प्रमुख रचनाऐं हैं. इतिहास और पौराणिकी के धूप-छाँव के खेले और बीते ज़माने की यादें इन सभी में ख़ूब झलकती हैं। इस सिलसिले में उनकी लेखनी एक साझी विरासत और तहज़ीब की यादों को संजो कर रखने का काम लगातार और बख़ूबी करती आ रही है। उपमहाद्वीप के जिन तमाम सम्मानों से इन्तिज़ार साहब को नवाज़ा गया है उनमें पाकिस्तान का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान ‘सितारा-ए-इम्तियाज़’ प्रमुख है. सन २०१३ में 'मैन बुकर इंटरनैशनल' पुरस्कार के लिए मनोनीत हुए. सन २०१४ में फ़्रांस ने 'ऑफ़िसर ऑफ़ दी ऑर्डर ऑफ़ आर्ट्स एण्ड लेटर्स' से सम्मानित किया."