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विमला वीरराघवन

पूर्व प्रमुख (मनोविज्ञान विभाग), दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली

"विमला वीरराघवन ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से एम.ए. मनोविज्ञान में गोल्ड मेडल प्राप्त किया, साथ ही इसी यूनिवर्सिटी में वे मनोविज्ञान व अनुप्रयुक्त मनोविज्ञान विभाग की प्रमुख रहीं। सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने एमिटी इन्स्टीट्यूट ऑफ बिहेवियरल एण्ड एलाइड साइन्सेज, एमिटी यूनिवर्सिटी, नोएडा में प्रोफेसर व डायरेक्टर जेनेरल का कार्य किया। इसके बाद वह एमेरीटस प्रोफेसर के रूप में इन्दिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी से जुड़ीं और यूनिवर्सिटी में मनोविज्ञान विभाग की स्थापना की। उन्होंने एमिटी यूनिवर्सिटी का फोरेन्सिक साइन्स विभाग भी स्थापित किया, और वह डिफेन्स इन्स्टीट्यूट ऑफ साइकोलॉजिकल रिसर्च (DIPR) और नेशनल इन्स्टीट्यूट ऑफ क्रिमिनोलॉजी एण्ड फोरेन्सिक साइन्सेज (NICFS) के लिये नियमित रूप से रिसोर्स पर्सन/विशेषज्ञ रह चुकी हैं। पूर्व में वे जाकिर हुसैन सेन्टर फॉर एजुकेशनल स्टडीज, जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर रह चुकी हैं। डॉ. वीरराघवन का प्रतिष्ठित करियर मानसिक स्वास्थ्य, परामर्श, शिक्षा व शोध के क्षेत्र में चार दशकों से अधिक में फैला हुआ है। मानसिक स्वास्थ्य में विशेष वर्कशॉप प्रस्तुत करने व नेशनल व इन्टरनेशनल कॉन्फेरेन्स में सत्र की अध्यक्षता करने हेतु आमन्त्रित होने के अतिरिक्त वह थमसत (Thmmasat) यूनिवर्सिटी, बैंकॉक में अतिथि प्रोफेसर रह चुकी हैं। उन्हें कई एवार्ड मिले हैं, जिनमें प्रमुख हैं इन्डियन काउन्सिल ऑफ सोशल साइन्स रिसर्च (ICSSR) का ‘टीचर फैलोशिप एवार्ड‘ और इन्डियन काउन्सिल ऑफ फिलॉसिफिकल रिसर्च (ICPR) का ‘नेशनल फैलोशिप एवार्ड‘ और उनके जीवन भर के मनोविज्ञान को योगदान के लिए प्रतिष्ठित ‘एशिआटिक सोसाइटी एवार्ड‘। डॉ. वीरराघवन ने 18 किताबें लिखी हैं, जिसमें सबसे नूतन है ‘‘टेक्स्ट बुक ऑफ पैरामीट्रिक एण्ड नॉन-पैरामीट्रिक स्टैटस्टिक्स‘‘ जो सेज इन्डिया द्वारा 2016 में प्रकाशित की गई है।"