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रीता मनचंदा

शोध निदेशक, साउथ एशिया फोरम फॉर ह्यूमन राइट्स

रीता मनचंदा एक स्थापित लेखिका, विद्वान-शोधकर्ता, तथा दक्षिण एशिया में संघर्षों एवं शांतिस्थापना में विशेषज्ञतासंपन्न मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं, जिनका विशिष्ट ध्यान संवेदनशील तथा हाशिए पर पड़े समूहों, अर्थात्, महिलाओं, अल्पसंख्यकों, स्वदेशी लोगों, तथा जबरन् विस्थापित किए गए लोगों पर केन्द्रित रहा है। प्रोफेसर मनचंदा के पास ‘‘दक्षिण एशिया मानवाधिकार मंच’’ (एसएएफएचआर) नामक क्षेत्रीय गैर-सरकारी संगठन के साथ वरिष्ठ कार्यकारी एवं शोध-निदेशिका के रूप में 15 वर्षों से अधिक का अनुभव है। उन्हांने ‘‘ह्यूमन राइट्स ऑडिट्स ऑफ़ पीस प्रोसेसेज’’, ‘‘विमेन, कॉन्फ्लिक्ट, एंड पीस’’, ‘‘मीडिया इन कॉन्फ्लिक्ट’’, तथा ‘‘राइट्स-बेस्ड एप्रोचेस टू पावर्टी रिडक्शन’’ जैसे कार्यक्रमों सहित विविध कार्यक्रमों का निर्देशन एवं समन्वयन किया है। साथ ही, विगत डेढ़ दशकों में वह राष्ट्रमंडल तकनीकी निधि की लैंगिक परामर्शदाता (2004-05), यूएन विमेन (2010-11, 2012-13, 2014), संयुक्तराष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी 2014-15), सेंटर फॉर हुमैनिटरियन डायलॉग (2011, 2012), तथा सेफरवर्ल्ड (2015, 2016) के साथ परियोजना परामर्शदाता के रूप में भी सम्बद्ध रह चुकी हैं। उन्होंने रोटरी सेंटर फॉर इंटरनेशनल स्टडीज पीस एंड कनफ्लिक्ट रिज़ोलुशन, चुलालोंगकार्न विश्वविद्यालय (2014), वेल्टहंगरहिल्फ (डब्ल्यूएचएच; 2014) लेडी श्रीराम कॉलेज (2008-16), एवं एसएएफएचआरः मानवाधिकार एवं शांति उन्मुखीकरण पाठ्यक्रम (2000-08) में संघर्ष समाधान पर व्याख्यान भी प्रस्तुत किए हैं। उनका नवीनतम प्रकाशन सेज सीरीज इन ह्यूमन राइट्स ऑडिट्स ऑफ़ पीस प्रोसेसेज (2015), जिसे दक्षिण एशिया मानवाधिकार मंच द्वारा अपनाया एवं सेज द्वारा प्रकाशित किया गया है, उत्तरपूर्व (भारत), बलूचिस्तान (पाकिस्तान), मधेश (नेपाल), तथा चटगाँव पर्वतीय क्षेत्र (बाँग्लादेश) में शांतिस्थापना के क्षेत्र-आधारित अंकेक्षण अध्ययन हैं। उनकी अनेकों पुस्तकों एवं लेखों में महिलावादी सिद्धांतीकरण पर एक अग्रणी अध्ययन तथा संघर्ष एवं शांतिस्थापना पर किया गया प्रयोग विमेन एंड पीस इन साउथ एशियाः बियाँड विक्टिमहुड टू एजेन्सी, (सेज 2001), तथा नागा विमेन इन पीस प्रॉसेस (सेज 2004) शामिल हैं।