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वैज्ञानिक कार्यप्रणालियों, व्याख्या की आधुनिक तकनीकों का उपयोग और आधारभूत समस्याओं का चयन व विश्लेषण भारतीय इतिहास का अध्ययन: एक परिचय को सुस्पष्ट एवं रोचक पुस्तक बनाता है।
इस पुस्तक के माध्यम से लेखक ने अनुसंधान के नए क्षेत्रों को खोला है, जो वैज्ञानिक ऐतिहासिक चिंतन के लिए महत्वपूर्ण मार्गदर्शन साबित होते हैं। यह स्मारकों, रीति-रिवाजों और बचे हुए अभिलेखों के परीक्षण के माध्यम से इतिहास की गहरी अंतर्दृष्टि प्राप्त करने में पाठकों की सहायता करती है। इसके साथ ही, वर्तमान को नियमित ऐतिहासिक विकास के अपरिहार्य परिणाम के रूप में दर्शाया गया है। प्रागैतिहासिक जनजातीय समाज से लेकर वर्तमान मशीनी-युग तक के विकास के सर्वेक्षण में विषय पर पूरी पकड़ और बारीकी से किया गया विश्लेषण इस पुस्तक को समसामयिक इतिहास लेखन में विशिष्ट योगदान बनाता है।
यह पुस्तक धैर्यपूर्वक किए गए शोध और गंभीर मौलिक सोच के परिपक्व विचारों का नतीजा है और पिछले कुछ दशकों में इसने वैश्विक स्तर पर पहचान और सम्मान प्राप्त किया है।
- संशोधित संस्करण की भूमिका
- प्रथम संस्करण की भूमिका
- प्रकाशकीय टिप्पणी
- संक्षेपाक्षर और ग्रंथसूची
- कालक्रमिक रूपरेखा
- 1. प्रयोजन एवं विधियाँ
- 2. प्राक-वर्णवर्गीय समाज की विरासत
- 3. सिंधु घाटी में सभ्यता और बर्बरता
- 4. सप्त सिंधु की भूमि पर आर्य
- 5. आर्यों का विस्तार
- 6. मगध का उत्कर्ष
- 7. ग्रामीण अर्थव्यवस्था का गठन
- 8. व्यापार और आक्रमण का अंतराल
- 9. ऊपर से उपजा सामंतवाद
- 10. नीचे से उपजा सामंतवाद
- परिशिष्ट
- इतिहास का निर्माण [चित्र]
- चित्रों पर टिप्पणियाँ
दामोदर धर्मानंद कोसंबी
दामोदर धर्मानंद कोसंबी (1907–1966) भारतीय इतिहास लेखन के क्षेत्र में बड़ी संख्या में विचारोत्तेजक पुस्तकों के लेखक हैं। उनका कार्य भारतीय इतिहास और संस्कृति के अध्ययन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। उनकी प्रमुख पुस्तकों में मिथ एंड रियलिटी, द कल्चर एंड सिविलाइज़ेशन ऑफ़ एंशिएंट इंडिया और एग्ज़ैस्परेटिंग एसेज शामिल है ... अधिक पढ़ें
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