Login


View Back Cover
जाति व्यवस्था की नई समीक्षा
पवित्र से अपवित्र की ओर
January 2019
| 324 pages | Hindi
जाति व्यवस्था की नई समीक्षा: पवित्र से अपवित्र की ओर ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य से जाति व्यवस्था के आर्थिक, राजनीतिक और वैचारिक घटकों के पारस्परिक टकराव का परीक्षण करती है। यह दर्शाती है कि जाति व्यवस्था की जड़ें वास्तव में भूमि अधिकार तथा राजनीतिक सत्ता के अधिक्रम में निहित हैं, जिसे धार्मिक और धर्मनिरपेक्ष विचारधारा का समर्थन प्राप्त है। मुख्यधारा के समाजशास्त्री आनुष्ठानिक एकरूपता पर ध्यान केंद्रित करते हैं और जाति के अंदर उपस्थित असमानता पर ध्यान नहीं देते हैं, इसलिए जातियां आंतरिक रूप से एक-सी दिखाई पड़ती हैं। वहीं लेखक आर्थिक और राजनीतिक अधिक्रम में जाति की जड़ों को दर्शा कर, उसके अंदर उपस्थित अंतरों पर प्रकाश डालते हैं। ऐतिहासिक-नृजातीय साक्ष्यों को आधार बनाकर वे तर्क देते हैं कि हिन्दुत्व ने जाति का निर्माण नहीं किया है और बिना जाति का हिन्दुत्व कोई आदर्श-लोक नहीं है।
इस पुस्तक का एक महत्त्वपूर्ण निष्कर्ष यह है कि किसी जाति के सदस्य सामूहिक लामबंदी करने में असफल रहते हैं, अगर उनके वर्ग के हित अलग-अलग हों, वहीं भिन्न जातियों या उप-जातियों के सदस्य राजनीतिक रूप से एक हो जाते हैं, अगर उनके वर्ग के हित समान हों। ऐसे घटनाक्रम के प्रतिमान इस भ्रम को दूर करते हैं कि भारत में जाति चेतना, वर्ग चेतना से आगे है।
- प्रस्तावना: जाति में पलना-बढ़ना, जाति का अध्ययन-एक निजी एवं व्यावसायिक कथा आभार
- परिचय
- जाति का अध्ययनः विचार, भौतिक स्थितियाँ तथा इतिहास
- पुजारी एवं राजाः पद(Status)-सत्ता (Power) की उलझन
- वर्ण से जाति की ओरः धार्मिक एवं आर्थिक-राजनीतिक
- जाति तथा सबाल्टर्न अध्ययनः अभिजात्य विचारधारा एवं संशोधनवादी इतिहासलेखन
- जातियों के बीच एवं आतंरिक असमानताएंः परिजन, जाति एवं भूमि
- बदलते भूमि सम्बन्ध एवं जातिः एक गाँव का दृश्य
- पट्टे के मजदूर, धर्म एवं जातिः हिन्दू धर्म एवं जाति-सम्बन्धी दो मिथक
- परिशिष्ट
- संदर्भग्रंथ सूची
हीरा सिंह
हीरा सिंह, यॉर्क विश्वविद्यालय, टोरंटो में समाजशास्त्र में अध्यापनरत् हैं। उन्होंने दिल्ली स्कूल आफ इकोनॉमिक्स, दिल्ली विश्वविद्यालय, में भी अध्यापन किया है। वे कनाडा के विभिन्न अन्य विश्वविद्यालयों, जैसे, विलफ्रिड लॉरियर, विक्टोरिया तथा न्यू ब्रन्सविक विश्वविद्यालय में भी अध्यापनकार्य कर चुके हैं। वे जर्नल ऑफ़ पीजेन्ट्स स्टडीज़ द्वारा ‘फ्यूडलिज्म इन ... अधिक पढ़ें
Also available in:
PURCHASING OPTIONS
For shipping anywhere outside India
write to customerservicebooks@sagepub.in
write to customerservicebooks@sagepub.in