1951 से, इंडियन सोशियोलॉजिकल सोसाइटी भारत में समाजशास्त्र के विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं और शिक्षकों की एकमात्र संस्था है। यह संस्था विभिन्न तरीकों से भारत में समाजशास्त्र के विकास के लिए कार्य कर रही है जिनमे से एक तरीका है, शोधकर्ताओं को अपने शोध प्रकाशित करने का मंच प्रदान करना और उनके विचारों का प्रसार करना। इंडियन सोशियोलॉजिकल सोसाइटी, 1951 से ही 'सोशियोलॉजिकल बुलेटिन' का भी प्रकाशन कर रही है। यह पाया गया है की भारत में गैर अंग्रेजी भाषी शोधकर्ताओं के बीच एक गुणवत्तापूर्ण पत्रिका की कमी है। हिंदी के केंद्रीय स्थल में विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं और शिक्षकों तक पहुँचने और भाषा के अंतर को पाटने के उद्देश्य से इंडियन सोशियोलॉजिकल सोसाइटी अपने क्षेत्रीय संघों के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में सामाजिक लेखन को बढ़ावा देती रही है। 2013 में आई.एस.एस ने स्वयं 'भारतीय समाजशास्त्र समीक्षा' के रूप में हिंदी भाषा में एक गुणवत्तापूर्ण पत्रिका निकालने की जिम्मेदारी ली। इस पत्रिका का उद्देश्य उन लोगों को एक उत्कृष्ट मंच प्रदान करना है जो क्षेत्रीय भाषाओं में, विशेष रूप से हिंदी में, समाजशास्त्र पढ़ रहे हैं। यह पत्रिका भारत में, हिंदी माध्यम में सैद्धांतिक एवं अनुभवजन्य शोधों को बढ़ावा देना चाहती है। पत्रिका का दायरा, सामाजिक ज्ञान की विविधता को समायोजित करने हेतु काफी व्यापक है। इसीलिए, इस पत्रिका को इस प्रकार डिजाइन गया है जिससे ज्ञान के उत्पादन और उसके वितरण में उक्त विविधता को समायोजित किया जा सके।
इस पत्रिका का उद्देश्य समाचार और वर्तमान मामलों को शामिल करना नहीं है।